माननीय उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि अगर विवाहित पुत्रियॉं अपने ससुराल में सुव्यवस्थित तरीके से रह रही है तो उन्हें मायके में किराएदार से मकान खाली कराने का हक वाजिब जरूरत के आधार पर नही मिल सकता क्योंकि विवाहित पुत्री अपने माता-पिता पर निर्भर नही होती । माननीय न्यायमूर्ति मार्केन्डेय काटजू और माननीय न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने एक याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया है । इसके अनुसार विवाहित और अपने पति के धर सुखपूर्वक जीवनयापन कर रही पुत्रियॉं अपने माता-पिता की तरफ से दायर मकान खाली कराने वाली याचिका की पैरवी नही कर सकती ।
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